क्या गांगुली की कप्तानी २००५ के अंत तक टिकेगी? क्या राहुल गांधी २०१० में भारत के प्रधानमंत्री होंगे? ऐसे सवालों के जवाबों की उम्मीद तो अब तक तो हम बेजॉन दारूवाला जैसे लोगों से ही करते थे पर अब ये कयास वैज्ञानिक प्रयासों से काफी सच भी साबित हो सकते हैं। मेरे पसंदीदा चिट्ठाकारों में शामिल नितिन पई और श्रीजीत ने प्रेडिक्शन मार्केट के आर्थिक सिद्धांत पर एक नया प्रयोग किया है, पब्लिक ज्ञान के रूप में। प्रेडिक्शन मार्केट का सिद्धांत कहता है कि अगर ढेर सारे लोगों की व्यक्तिगत राय को सम्मिश्रित कर दिया जाय तो नतीजे वास्तविक नतीजों के काफी करीब होते हैं, जिसका ज़िक्र जेम्स सोरोविकी की कामयाब पुस्तक विस्डम आफ क्राउड में भी है।
पब्लिक ज्ञान में आप अनुमान शेयर बाजार की तईं लगाते हैं फर्क बस इतना है कि खर्च कुछ नहीं करना पड़ता, सारा कारोबार रूपये या डॉलर में नहीं "मूलर" में होता है। मंच पर फिलहाल प्रवेश के लिये निमंत्रण की दरकार होगी। नितिन के इस अभिनव प्रयास के लिये ढेरों शुभकामनायें! स्मार्ट मॉब्स क्या कर सकती हैं यह इसका बेहतरीन उदाहरण बन कर उभरेगा।
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1 comment:
अच्छी चीज है, गूगल ने भी अपने इम्पलाइज के लिये लगभग ऐसी ही सर्विस चालू कर रखी है, जिसमे कोई भी इम्प्लाई किसी भी विषय के भविष्य पर अपनी राय रख सकता है, शायद ऐसी ही कोई सर्विस गूगल, जनरल पब्लिक के लिये भी लाने वाला है, क्योंकि जीमेल भी पहले गूगल के आन्तरिक पत्राचार का साधन थी, अब देखे, कब आती है ये सर्विस।
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