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Saturday, December 11, 2004

भारतीय ब्लॉग मेला: ३७वां संस्करण

भारतीय ब्लॉग मेला में आपका स्वागत है। प्रकाशन में देरी के लिए क्षमा चाहता हूँ और बिना लाग लपेट शुरु करता हूँ यह आयोजन:

  • अतुल सी.एन.एन की एक ख़बर, जिसमें अमेरिकी पयर्टकों को युरोप में परेशानी से बचाने वाले कैनेडियन प्रतीक चिन्हों वाले लिबासों के प्रचलन का ज़िक्र था, का हवाला देते हुए पर्यटन के पहलुओं पर व्यंग्यात्मक टिप्पणी कर रहे हैं।
  • साइकिल सवार साधनहीन बुढऊ की पीक के छींटों से व्यथित अनूप ने ठीकरा थूककर चाटने के हमारे राष्ट्रीय चरित्र पर फोड़ डाला
    कुछ विद्वानों का मत है कि 'थूककर चाटना' वैज्ञानिक प्रगति का परिचायक है। नैतिकता और चरित्र जैसी संक्रामक बीमारियों के डर से लोग थूककर चाटने से डरते थे। अब वैज्ञानिक प्रगति के कारण इन संक्रामक बीमारियों पर काबू पाना संभव हो गया है।
  • हिंदी के कदम बढ़ते हुए आ पहुँचे मोज़िला फ़ायरफ़ाक्स 1.0 ब्राउज़र और ई-मेल क्लाएंट मोजिला थंडरबर्ड के हिन्दी संस्करण तक, बता रहे हैं रवि
  • नीलेश अपने चिट्ठे में बात कर रहे हैं, कैप्चास के विषय में जिनकी मदद से आप अपने ब्लॉग कि टिप्पणीयों में शरीर के अंग के विशालिकरण के तरीकों और वियाग्रा कि दुकानों कि फेहरिस्त से बच सकते हैं। हालाँकि वे बताते हैं
    स्पैमर्स ने कैप्चास की भी तोड़ निकाल ली है। किसी ने ऐसे सॉफ्टवेयर रोबो का ईजाद किया है जो किसी पंजीकरण फॉर्म में कैप्चा परीक्षण से पाला पड़ते ही उसे किसी पोर्न जालस्थल पर प्रेषित कर देगा जहाँ आगंतुकों को कहा जाएगा कि और पोर्नोग्राफी देखनी है तो इस टेस्ट को पास किजीए। उनके दिए जवाब का रोबो इस्तेमाल करेगा ईमेल पंजीकरण फॉर्म पर।
  • विजय ठाकुर ने प्रस्तुत की बाबा नागार्जुन की मैथिली कविता का हिन्दी रुपांतर, हालाँकि अनुवाद ज़रा क्लिष्ट हो गया है।
  • जितेन्द्र शर्मा सूडान में तेल और जातियता से उपजी दोगली घरेलू और अंर्तराष्ट्रीय राजनीति के घालमेल और वहाँ जारी संघर्ष से आम जनता की तकलीफों का ज़िक्र कर रहे हैं अपने चिट्ठे में। एक अन्य चिट्ठे में वे सामाजिक और आर्थिक संकट के पाटों के बीच फंसे नाईजीरिया के राष्ट्रपति के विदेश यात्राओं पर हो रही चर्चाओं के दोनों पहलू पेश कर रहे हैं।
  • अंततः आशीष का चिट्ठा जहाँ वे यातायात की एक ख़बर का भारतीय परिप्रेक्ष्य में ज़िक्र कहते हुए कहते हैं कि पूर्वनिर्धारित यातायात के नियमों को सीखना भर काफी नहीं है क्योंकि समय और परिस्थिति के अनुसार बदलाव न होने के कारण इनका कारगर होना मुश्किल है।

माफी चाहता हूँ, कुछ नामित चिट्ठे व्यक्तिगत थे जो मेले के नियमानुसार शामिल नहीं किए जा सके। सभी प्रतिभागियों का शुक्रिया। धन्यवाद शांति का भी मुझे आतिथ्य का मौका देने के लिए। अगले मेले के मेज़बान हैं याज़ाद

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