कश्मीर और पाकिस्तानी अंर्तविरोध
७ मार्च के दैनिक “द न्यूज़” मे इकबाल मुस्तफा इसी विषय की चर्चा करते हुये कह्ते हैं-
अब समय आ गया है कि पाकिस्तान खुद अपनी तकदीर की तलाश करे।
इस तरह का लेख बहुत सालों मे पहली बार पढ़ने को मिला है। लेकिन जब तक पाकिस्तान का शासन सेना के हाथ मे है, परिवर्तन की उम्मीद बेकार है।
भारत पाकिस्तान के साथ कश्मीर के मुद्दे पर बातें और समझौता तो कर सकता है पर शायद पूर्ण रूप से सुरक्षित नही हो सकता।
इस पखवाड़े का "मेहमान का चिट्ठा" लिख रहे हैं, सिंगापुर में बसे नितिन पई। पेशे से दूरसंचार इंजीनियर नितिन एक प्रखर व मौलिक चिट्ठाकार हैं और उन मुठ्ठीभर भारतीय चिट्ठाकारों में शुमार हैं जो चिट्ठाकारी के लिए जेब ढीली करते हैं। अपने चिट्ठे "द एकार्न" में नितिन दक्षिण एशियाई राजनैतिक और आर्थिक परिदृश्य पर खरी खरी लिखतें हैं, इस्लामिक व एटमी ताकत़ वाले राष्टृ खासतौर पर पाकिस्तान पर इनकी पैनी नज़र रहती है। मेरी गुजारिश पर नितिन ने कश्मीर समस्या और पाकिस्तान की भुमिका पर अपने विचार इस चिट्ठे में लिखे हैं। शुक्रिया नितिन
No comments:
Post a Comment