अमर सिंह का कथित ब्लॉग पढ़ा। इतने दिनों से सबका लेखन पढ़ते पढ़ते पता चल जाता है कि कौन "में" को "मे" लिखता है, कौन पूर्णविराम की जगह बिंदु लगाता है, कौन किताबें "पड़ता" है, कौन पढ़ता नहीं, कौन लेखन की "ईच्छा" रखता है और कौन कॉमा के पहले "स्पेस" छोड़ता है, कौन लेफ्टी और कौन समाजवादी। यू.पी वाले सबूत बहुत छोड़ जाते हैं, पर कनपुरिये ही बनाये और बन भी जायें, अटल जी कहते "ये अच्छी बात नहीं है"! बहरहाल जब तक संदेह की पुष्टि न हो, संकेत बस इतने ही।
1 comment:
आपने गागर में हमारी गलतियों का सागर भर कर हमारे सामने रख दिया है । मेरे विचार से इसमे से कुछ तो व्यक्तिगत शैली और पसन्द के भाग हैं , कुछ "चलता है" वाली सोच और कुछ हिन्दी संपादकों की जटिलाता ( मैं चाहकर भी जल्दी में हलन्त का प्रयोग नही कर पाता हूँ ) ।
खैर, लिखित भाषा को पढकर "अमर सिंह" की वास्तविक पहचान करना एक बहुत अच्छी दिमागी कसरत है ।
अनुनाद
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