घबराईये नहीं नुक्ताचीनी बंद नहीं हुई, बस अब नई जगह होती है !

नुक्ताचीनी का नया पता है http://nuktachini.debashish.com

नुक्ताचीनी की फीड का पाठक बनने हेतु यहाँ क्लिक करें

Sunday, June 05, 2005

मुगालते में ऐश है

हम भारतीय तो जन्मजात हिपोक्रिट हैं ही। कथनी और करनी का अंतर न हो तो हमारी पहचान ही विलीन हो जाये। कुछ दिनों पहले जब देह मल्लिका के कॉन्स के पहनावे की बात आयी जिसमें कपड़ा कम और जिस्म ज़्यादा था तो मुझे मल्लिका और ऐश्वर्या कि महत्वाकाक्षांओं में कुछ खास फर्क नहीं नज़र आया। दोनों ही अंतर्राष्ट्रीय रूपहले पर्दे पर जाने को आशावान हैं। इस राह में जिस्म की खास भूमिका है, बस दोनों अभिनेत्रियों का अप्रोच खासा अलग है। मल्लिका की साफगोई की दाद देनी पड़ेगी। वे जानती हैं और स्वीकार भी करती हैं कि चमड़ी के भरोसे सफलता मिलना तय है। इसके उलट अपनी भोली भाली छवि के अनुरूप ऐश ऐसा दिखाती हैं कि वे काजल की कोठरी में रहकर भी दूध सी सफेद बाहर निकलेंगी। "मैं सेक्स सीन नहीं दूँगी, किस नहीं नहीं।" देसी फिल्मों में उन्होंने कोई तरीका तो नहीं छोड़ा जिस से उनके शरीर कि रचना की गणना न की जा सके। ज़्यादा दूर क्या जाना, हाल का लक्स का नया विज्ञापन देखें, छुईमुई ऐश्वर्या न जाने कहाँ कहाँ गोदना गुदवा रही हैं वो भी इतने अशोभनीय (ओह माफ कीजियेगा, नयी भाषा में इसे सेक्सी कहा जाता है, है न!) तरीके से कि...। इससे तो मल्लिका जैसी अभिनेत्रियाँ ही भली, चमड़ी बेच रही हैं तो किसी मुगालते में नहीं हैं और न ही छूईमुई और बुद्धिमान बने रहने का दिखावा करती हैं। मर्द को लुभाने वाली चीज़ स्त्री के मस्तिष्क के काफी नीचे बसती हैं यह बात तो ऐश भी जानती हैं। पर मुगालते पालना भी कोई बुरी बात नहीं। जब भविष्य में भारतीय पुरुष उनकी पंद्रह मिनट की भूमिका वाली जगमोहन मूँदड़ा निर्मित हॉलीवुड की कोई फिल्म जब देखेंगे तो ऐश्वर्या के शरीर और "अभिनय क्षमता" को ज्यादा बेहतर सराह पायेंगे।

3 comments:

Unknown said...

सही कहे हो देबु भैया, कथनी और करनी में तो लेकिन सबकी अन्तर है। गोरे लोग बात करते हैं समभाव की और सबसे बड़े अलगाववादी भी वही हैं। जैसे अमरीकियों को गरीबी हटाने की बात करते हुये अजीब लगता है क्योंकि शोषण भी तो वही करते हैं। अमीर देश अफ़्रीका में एक तरफ़ आर्थिक सहायता देने की बात करते हैं और दूसरी तरफ़ खदानों के सोने और हीरे तो निकलवाने के लिये वहां हथियार बेचते हैं।

Tarun said...

बात तो सोलह आने सही कही है, लगे हाथ ये भी बता देते कि वो मूवी कौन सी है। और
जहाँ तक कथनी और करनी का ताल्‍लुक है वो तो हर एक (ज्‍यादतर) सफल इंसान और
देश का मजबूत हथियार बनता जा रहा है।

debashish said...

अरे भईया "कोई फिल्म" कह कर कयास लगाया था बस! बॉलीवुड वाले जब हॉलीवुड की फिल्मों में काम की बात करते हैं तो वह अक्सर जगमोहन साहब की सॉफ्ट पॉर्न फिल्में ही होती हैं जिन्हें हालीवुड में तो "सी ग्रेड" माना जाता ही है, हमारे यहाँ का केबल वाला भी रात ११ के बाद ही लगा पाता है। जगमोहन अभिनेत्रियों को तो छोड़िये हेमंत "टारजन" बिरजे जैसे अभिनाताओं को भी नंगा कर चुके हैं। यह बात दीगर है कि आजकल वो सामाजिक विषयों पर फिल्में बनाने लगे हैं।